The Youth's Write
Little do we realize how stronger are pens than swords. This blog carries some small efforts to turn perceptions into words. Read, enjoy, suggest and share.
Saturday, 6 May 2017
Tuesday, 10 May 2016
Love for the nation.
वो वतन से मुहौब्बत कैसी?
कोई तुम्हे उनकी शहीदी सुनाए,
और तुम्हारी रूह न काँपें,
वो वतन से मुहौब्बत कैसी?
तुम हज़ारों संग जन-गन-मन गाओ,
और तुम्हारा जिस्म न थर्राए,
वो वतन से मुहौब्बत कैसी?
कोई सरहद पर बे-मौत अपनी जान गँवा दे,
और तुम्हे दर्द न हो,
तो कोई मैदानों में फतह पा ले,
और तुम्हे फ़क्र न हो,
वो वतन से मुहौब्बत कैसी?
तिरंगा फलक तक लहराए,
इंसानियत ही मज़हब बन जाए ,
तरक्क़ी बेमिसाल हो जाए,
और अपनी छवि पर आँच न आए।
इस वतन से,
इस मिट्टी से,
तुम्हे और मुझे,
मुहौब्बत हो ऐसी ।
Monday, 2 May 2016
Travel and friends.
तो चलो आज फिर निकलते है,
घर से बाहर थोड़ी दूर,
खाली बस्तों के संग,
यारों के कंधों के सहारे,
और चुरा लेते है ज़िंदगी से,
कुछ खूबसूरत पल,
जो कभी भूले नहीं जा सकते ।
चलो गाते है अपने तराने,
आने वाले कल की परवाह नहीं करते,
और जी लेते हैं ,
एक दूसरे की खुशियों में,
बाँट लेते है बोझ सारे,
जिससे शायद सब बेहतर लगे ।
बेख़बर रहते हैं दिन-रात से,
इस आज़ादी में फ़िक्र करते हैं तो सिर्फ ख़ुद की,
वक़्त को रोक देते हैं ,
कि शायद ये समां वापस न आये,
और ये दोस्ती जो निभाई है,
इनका हमेशा से रिश्ता जोड़ लेते हैं ।
और लौट आते है घर,
थके-हारे,
उन्हीं कंधों के सहारे,
फर्क इतना की बस,
वो खाली बस्ते मीठी यादों से भरे हों ।
Sunday, 24 January 2016
For this age is unknown to life.
महफ़िलों की नज़्में,
स्याही भरे ख़त।
दिल के हर्फ़ पढ़ना,
ये ज़माना नहीं जानता।
ख़ामोश दरिया,
खलता आसमान।
बहना लहरों के मानिंद,
ये ज़माना नहीं जानता।
शीशों सी है ये दुनिया,
पल भर में चूर।
खुद की सूरत,
ये ज़माना नहीं जानता।
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