ऐ ख़ुदा, जब तेरे हर कहीं होने का एहसास हुआ,
आसमान भी फलक के नज़ारों में बदल गया।
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तू खड़ा फ़कीर यहाँ गालियाँ दे रहा,
किसी रंगरेज़ से पूछ, ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है।
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ज़िन्दगी अक्सर ठोकर देती रहती है,
क्या पता उसे, ऐसे ही मिज़ाज़ से खुश हूँ मैं।
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ऐ वक़्त मुझे तेरी नियत समझ नहीं आती,
तू ज़िन्दगी संवारता है,
और लम्हे छीनता है।
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आना-जाना तेरा खाली हाथ ही है यहाँ,
गलत नज़र न रखना,
अमानत तो सिर्फ तेरा ये दिल है,
इसे संभाले रखना।
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