Sunday 23 February 2014

26/11 Mumbai Attack

"रूह तक पहुँचने दो"

वक़्त ने दी है बहुत ठोकरें, बहुत खाएं है ज़ख्म हमने,
पर इन हालातों की  नरमी को अब रूह तक पहुँचने दो । 

हर बार जैसे हम भूलेंगे नहीं अपने जीने के हक़ को,
कोई पूंछ न ले इस बार सांत्वना देते हुए,
"कि अब तो घाव भरा होगा,
अब वो अंग थोड़ी न दर्द से सना होगा?"


 मैं कहता हूँ, इस बार उन चीखों को खुद में दबाना मत,
  अपनी हार का गम किसी से भी  जताना  मत,
क्योंकि ये एक जीत थी, उस खौंफ के ऊपर,
ये जश्न था सांझ होने का । 

अब जब सुबह होगी, रौशनी दिखेगी रूबरू,
होगी मुलाक़ात एक नयी सदी से, रूबरू । 

दूर रख देना अब मर्हम को,
दूर रख देना बिखेरने वाले अब धर्म को,
सरफ़रोश कर देना खुद को इस ज़मीन से लिपट कर,
सो जाना मिट्टी की आँचल से चिपक कर । 

वो क्या जाने ज़िन्दगी के नज़ारों को,
जो दहशत की भूमि को ही जन्नत समझते हैं,
वो क्या जाने आज़ाद रहने की कीमत,
जो खुद की  ही करवट में उलझते हैं । 


ये जो लगी है आग दिल में उसे बुझने न देना,
अब दोबारा ऐसी आफ़त की घंटी, अपने दरवाज़े पर बजने न देना,
यह तो पहला कदम है, हिम्मत को थोडा और सहजने दो,
इन हालातों की  नरमी को अब रूह तक पहुँचने दो ।




Thursday 6 February 2014

Photographs can take you anywhere!

                                                                     "कहती हैं तसवीरें"

वक़्त को मुट्ठी में बंद कर लेती है तसवीरें,
मौसम को खुद में ही कैद कर लेती है तसवीरें,
लाख खुशियों का वजूद होती है तसवीरें,
न कह कर भी बहुत कुछ कहती है तसवीरें । 

लाखों के निर्वाह का कारण होती है तसवीरें,
सन्नाटे में डूब कर भी बेबाक होती है तसवीरें,
रिश्तों की  डोर सी होती है तसवीरें,
न कह कर भी बहुत कुछ कहती है तसवीरें ।



कल को आज बताती है तसवीरें,
धड़कनों से बतलाती है तसवीरें,
मुरझा जाते है रंग उनके,
फिर भी आँखों में चमकती है तसवीरें । 

सिर्फ कल ही नहीं, इतिहास दोहराती है तसवीरें,
नम पलकों को अक्सर सहराती है तसवीरें,
सच्ची हालातों का बयान करती है तसवीरें,
दिल की ज़बान होती है तसवीरें