Thursday, 5 November 2015

Because life is a journey.


मेरे खता ही रहनुमा मेरे,
मेरी हसरतें ही नूर,
मेरी धड़कनें ही राग मेरी,
 वो कहें मुझे फ़ितूर?

राहें ये घर मेरी,
हर शहर ठिकाना,
मंज़िलों की चाहत में,
मंज़ूर है ज़िन्दगी का बसर जाना। 

कश्ती सा बहूँ,
इन लहरों की खुराफ़ात में,
या पँछी सा उडूं,
फ़िज़ाओं की सरसराहट में। 

न रोके, न रुकूँ,
गिरे, तो फिर उठूँ,
जज़्बात न पिघल जाये,
हर पहलु हँस कर निकल जाए। 

मुसाफ़िर हूँ ऐसे सफ़र का,
जिस पर मौत भी मुनासिब है। 

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