महफ़िलों की नज़्में,
स्याही भरे ख़त।
दिल के हर्फ़ पढ़ना,
ये ज़माना नहीं जानता।
ख़ामोश दरिया,
खलता आसमान।
बहना लहरों के मानिंद,
ये ज़माना नहीं जानता।
शीशों सी है ये दुनिया,
पल भर में चूर।
खुद की सूरत,
ये ज़माना नहीं जानता।
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