Monday, 31 March 2014

Freedom, as it opens us.

"आज़ादियाँ"

 न आए जब तक, बेबस बनाती है हमें आज़ादियाँ ,
न मिले जब तक, दूर करती है मंज़िल से हमें आज़ादियाँ,
होती है यहीं-कहीं,
पर नज़रों में मुश्किल से आती है ये आज़ादियाँ। 

जब मिल जाए ये,
उस पल जीना सिखाती है आज़ादियाँ,
ज़िन्दगी की तस्वीर में रंग भरती है आज़ादियाँ,
समय को खुद का वारिस बताती है आज़ादियाँ,
खेदों को अलविदा करती है आज़ादियाँ। 



धरती तो है छोटी सी,
आसमान के घेर का मंज़र देती है आज़ादियाँ,
होती बहुत खूबसूरत है ये,
बस कुछ वक़्त लेती है आज़ादियाँ। 

Tuesday, 11 March 2014

Experiments with myself

"खुद को सँवारा"

खुराफातें की मैंने खुद से,
आँख दोबारा मिलाई,
भुला सब कुछ जैसे,
आहटें दिल की जलाई। 

आशाओं का हटा दिया, मन में जो था बसेरा,
अब बचा था सिर्फ मैं और पास पड़ा था समय का ढेरा। 

पहले अक्सर जीने कई चाहत में, खुद को घायल किया मैंने,
होश ज़िन्दगी का पाने के लिए, खुद को कायल किया मैंने। 

हर बार से कुछ अलग था ये एहसास,
जितना गहरा गया, उतना खुद को निहारा मैंने,
धुंधला कर हालातों को,
खुद को सँवारा मैंने। 

Saturday, 8 March 2014

Happy Women's Day :)

"नारी"

तू है सुकून दिल को, एक कश्ती, दुःख के हर साहिल को,
तू है जहां दूसरा, पहलु ज़िन्दगी की  हर मंज़िल को,
तेरे बिन कहाँ ये दिन, कहाँ ये रात,
तू हर पल में है थामे मेरा हाथ। 

तेरी ममता, तेरा आँचल, कैसे भूलूँ इन आहों को मैं?
कैसे छोड़ दूँ तेरी खुशनुमा राहों को मैं?

मेरी कहानियों के लफ्ज़ तू है,
खुदा का सबसे बड़ा क़र्ज़ मुझ पर तू है,
न चुका  पाऊँगा तेरी कीमत को कभी,
तेरे सामने हमेशा खुद को, गरीब ही महसूस करता हूँ ।