"माँ"
माँ, तू ने तेरी ममता का कोना-कोना दिखाया है,
हर पहेली का पहलु बताया है,
स्वर्ग सी तेरी आँचल की माया है,
रौशनी भरा तेरा ये कैसा साया है?
मरहम है तू हर घाव को,
लहर है तू, मेरी ज़िन्दगी-ऐ-नाव को,
आँखों में तेरी एक अद्भुत चमक है,
मैं पंछी बेखबर और तू ही फलक है।
हर हरकत की तू सहेली है,
हर शैतानी, हर ख़ुराफ़ात तू ने मुस्कान की शिद्दत से झेली है,
सरहाना मेरी कोशिशों को, तेरे दिन का एक हिस्सा है,
तू एक अमूल्य और अवाक किस्सा है।
तेरी गोद ही अक्सर मेरा बिस्तर हुआ करती थी,
मेरी खामोशी से तू हरदम डरती थी,
तुझे खोते ही, दुनिया ज़ालिम लगती थी,
एक एक पल वें साँसें सुलगती थी।
तेरे कलेजे का सुकून अब भी ढूँढता हूँ मैं,
इसी चक्कर में आँखें मूँदता हूँ मैं।
जिस प्राण में भरा हो सिर्फ प्रेम,
उसकी हर आदत खूबसूरत कितनी होगी?
जिस इंसान के चरणों में स्वर्ग बसा हो,
उसके शीर्ष की कीमत क्या होगी?
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