Thursday, 13 November 2014

Untitled.


ऐ ख़ुदा तेरे कुछ लोगों से मैं इतना प्यार कर बैठा,
छू गए दिल को ऐसे कि बस आँखों से बयान कर बैठा । 
अब न शिकायत, न कोई रज़ा रही,
मैं तो ज़िन्दगी को बस खूबसूरत समझ बैठा। 

खुशनुमा राह अब कौनसी नहीं थी?
मैं तो हर नज़ारे से ऐतबार कर बैठा । 
तेरे रग रग में होने का जब एहसास हुआ,
हर मज़हब की कोशिश को बेकार कर बैठा। 

भर ली बातें मोहब्बत से यूँ,
कि नफ़रत को हरदम इनकार कर बैठा । 
रहाई ढूंढी कोने कोने में,
और खुशियों का बाज़ार कर बैठा । 



Wednesday, 15 October 2014

The men more, humanity less.


Life's a journey of togetherness,
They've live it as an individual's race,
Their hunger for a single coin, a total disgrace.

Acting like demons to destroy mother nature,
Is this where they've found rapture?

They were born not just to exist, but to live,
Taking all through greed,
and hesitating in what they're meant to give.

Denying the kindness and purity of souls,
Their unworthy ego, filthy bowls.

What if we could drown in someone else's tears,
Giving them a single hand to wipe away the fears.

Cruelty, wars, destruction, one day will all sound a mess,
I've seen the men more, but humanity less.

Monday, 15 September 2014

Tukde.


ऐ ख़ुदा, जब तेरे हर कहीं होने का एहसास हुआ,
आसमान भी फलक के नज़ारों में बदल गया। 
… 

तू खड़ा फ़कीर यहाँ गालियाँ दे रहा, 
किसी रंगरेज़ से पूछ, ज़िन्दगी कितनी  खूबसूरत है। 
… 

ज़िन्दगी अक्सर ठोकर देती रहती है,
क्या पता उसे, ऐसे ही मिज़ाज़ से खुश हूँ मैं। 
… 

ऐ वक़्त मुझे तेरी नियत समझ नहीं आती,
तू ज़िन्दगी संवारता है,
और लम्हे छीनता है। 
… 

आना-जाना तेरा खाली हाथ ही है यहाँ,
गलत नज़र न रखना,
अमानत तो सिर्फ तेरा ये दिल है,
इसे संभाले रखना। 
… 



Friday, 29 August 2014

A Letter.

Letter

To the experienced, 
All my life, since I learned to hold the pencil, there was one sound, striking me every day of my life, "Could have done better, bring those A*s  ! This ain't enough." I never minded that, well, it wasn't an age to gather that much. But today, when I'm at the floor of high school, I still hear this. And this time the frequency seems increasing badly. We're literally counselled to bring 10 CGPAs or just be toppers. Who finds himself being cheered up after being stuck only to the syllabus! Man, I don't have a problem with that, but, indeed, this ain't enough to live a LIFE! Entering IITs, AIIMs, civil services etc. is a damn tough job and needs a lot of brushing up in studies, but what about the people they'll be with? How are they going to communicate? What relations are they gonna share? What fun they'll have together?
Aren't these things a good topic to munch over? I would say "the most important!" 
People, you, with your experiences can boost up the lives of young ones and no doubt of men the of your age too. You can share your views and incidents and tell them to improve their life's thousands of aspects. Won't this make a difference? Won't it create an existence of not just educated, but learned people? It will! 
Make them respect women, to pour out dignity while conversing, make them feel the poverty of world, the needs of a helpless person, his hunger and inefficacy. Teach them the power of education and literacy.
Make them know the beauty of love, hugs and care. Produce them moral filthy, the ones who know where not to go cheap and decrease standards. Let them embrace more lives, more places and more values. Make them know the joy of journeys and the rapture of fields.
Make them pry souls. Make them mature enough to grasp the sentiments of everyone around their corner. Tell them a dying man's story, that on the deathbed, he doesn't remember the days he spent in office, but the nights he had wondered under the stars. Let them be free, once in a while, to explore their own innovations and creations. Apprise them the magic of peace and there's nothing compared to a happy, laughing soul. Make them listen the most soothing music, for they aren't left incomplete without travelling a new world. Strength lies in unity, and we are all just humans, discrimination is a cruel's idea. Make them believe the ultimate truth of our lives: God resides in us. Make them love themselves, so they can never hurt others. Make them applause art, for their lives are to be filled with colors. Occupy their minds with the spirit of sports and to work hard to achieve. 

If any human is inculcated with all this, he/she has already mastered the way of living. Let them live, and not just exist. 

Friday, 23 May 2014

Today

"ये दिन"

इस लम्हे में छुपा कैसा ये राज़ है?
सब कुछ इस मेहफिल में साज़ है,
दिल कहे यहीं रह जाऊं,
कल माँगता  नहीं वो,
दूर चले जाये सब अपने,
ऐसे पल चाहता नहीं वो। 

गुज़रते वक़्त को थाम दूं,
क्या इतना हक़ नहीं मेरा?
दर लगता है अँधेरे से,
क्या पता, ले जाए सब कुछ कोई नया सवेरा?

ये जो हाथ पकड़े हुए है, जकड़े हुए है,
उन्हें किसी के हवाले नहीं कर सकता मैं,
कल क्या पता क़र्ज़ माँग ले सब कुछ का,
सच तो ये है, नहीं भर सकता मैं। 

मुश्किल है ये, मालूम है मुझे,
पर यही, यही ज़िन्दगी है मेरी,
वक़्त न सुनता किसी की,
यही गिला है मेरी। 

"मैं छोड़ आया सब",
ये कह, रोना नहीं चाहता,
बस, और कुछ नहीं,
सिर्फ इस दिन को खोना नहीं चाहता। 

Wednesday, 9 April 2014

Mother

"माँ"

माँ, तू ने तेरी ममता का कोना-कोना दिखाया है,
हर पहेली का पहलु बताया है,
स्वर्ग सी तेरी आँचल की  माया है,
रौशनी भरा तेरा ये कैसा साया है?

मरहम है तू हर घाव को,
लहर है तू, मेरी ज़िन्दगी-ऐ-नाव को,
आँखों में तेरी एक अद्भुत चमक है,
मैं पंछी बेखबर और तू ही फलक है। 

हर हरकत की तू सहेली है,
हर शैतानी, हर ख़ुराफ़ात तू ने मुस्कान की शिद्दत से झेली है,
सरहाना मेरी कोशिशों को, तेरे दिन का एक हिस्सा है,
तू एक अमूल्य और अवाक किस्सा है। 



तेरी गोद ही अक्सर मेरा बिस्तर हुआ करती थी,
मेरी खामोशी से तू हरदम डरती थी,
तुझे खोते ही, दुनिया ज़ालिम लगती थी,
एक एक पल वें साँसें सुलगती थी। 

तेरे कलेजे का सुकून अब भी ढूँढता हूँ मैं,
इसी चक्कर में आँखें मूँदता हूँ मैं। 

जिस प्राण में भरा हो सिर्फ प्रेम,
उसकी हर आदत खूबसूरत कितनी होगी?
जिस इंसान के चरणों में स्वर्ग बसा हो,
उसके शीर्ष की कीमत क्या होगी? 



Monday, 31 March 2014

Freedom, as it opens us.

"आज़ादियाँ"

 न आए जब तक, बेबस बनाती है हमें आज़ादियाँ ,
न मिले जब तक, दूर करती है मंज़िल से हमें आज़ादियाँ,
होती है यहीं-कहीं,
पर नज़रों में मुश्किल से आती है ये आज़ादियाँ। 

जब मिल जाए ये,
उस पल जीना सिखाती है आज़ादियाँ,
ज़िन्दगी की तस्वीर में रंग भरती है आज़ादियाँ,
समय को खुद का वारिस बताती है आज़ादियाँ,
खेदों को अलविदा करती है आज़ादियाँ। 



धरती तो है छोटी सी,
आसमान के घेर का मंज़र देती है आज़ादियाँ,
होती बहुत खूबसूरत है ये,
बस कुछ वक़्त लेती है आज़ादियाँ। 

Tuesday, 11 March 2014

Experiments with myself

"खुद को सँवारा"

खुराफातें की मैंने खुद से,
आँख दोबारा मिलाई,
भुला सब कुछ जैसे,
आहटें दिल की जलाई। 

आशाओं का हटा दिया, मन में जो था बसेरा,
अब बचा था सिर्फ मैं और पास पड़ा था समय का ढेरा। 

पहले अक्सर जीने कई चाहत में, खुद को घायल किया मैंने,
होश ज़िन्दगी का पाने के लिए, खुद को कायल किया मैंने। 

हर बार से कुछ अलग था ये एहसास,
जितना गहरा गया, उतना खुद को निहारा मैंने,
धुंधला कर हालातों को,
खुद को सँवारा मैंने। 

Saturday, 8 March 2014

Happy Women's Day :)

"नारी"

तू है सुकून दिल को, एक कश्ती, दुःख के हर साहिल को,
तू है जहां दूसरा, पहलु ज़िन्दगी की  हर मंज़िल को,
तेरे बिन कहाँ ये दिन, कहाँ ये रात,
तू हर पल में है थामे मेरा हाथ। 

तेरी ममता, तेरा आँचल, कैसे भूलूँ इन आहों को मैं?
कैसे छोड़ दूँ तेरी खुशनुमा राहों को मैं?

मेरी कहानियों के लफ्ज़ तू है,
खुदा का सबसे बड़ा क़र्ज़ मुझ पर तू है,
न चुका  पाऊँगा तेरी कीमत को कभी,
तेरे सामने हमेशा खुद को, गरीब ही महसूस करता हूँ । 

Sunday, 23 February 2014

26/11 Mumbai Attack

"रूह तक पहुँचने दो"

वक़्त ने दी है बहुत ठोकरें, बहुत खाएं है ज़ख्म हमने,
पर इन हालातों की  नरमी को अब रूह तक पहुँचने दो । 

हर बार जैसे हम भूलेंगे नहीं अपने जीने के हक़ को,
कोई पूंछ न ले इस बार सांत्वना देते हुए,
"कि अब तो घाव भरा होगा,
अब वो अंग थोड़ी न दर्द से सना होगा?"


 मैं कहता हूँ, इस बार उन चीखों को खुद में दबाना मत,
  अपनी हार का गम किसी से भी  जताना  मत,
क्योंकि ये एक जीत थी, उस खौंफ के ऊपर,
ये जश्न था सांझ होने का । 

अब जब सुबह होगी, रौशनी दिखेगी रूबरू,
होगी मुलाक़ात एक नयी सदी से, रूबरू । 

दूर रख देना अब मर्हम को,
दूर रख देना बिखेरने वाले अब धर्म को,
सरफ़रोश कर देना खुद को इस ज़मीन से लिपट कर,
सो जाना मिट्टी की आँचल से चिपक कर । 

वो क्या जाने ज़िन्दगी के नज़ारों को,
जो दहशत की भूमि को ही जन्नत समझते हैं,
वो क्या जाने आज़ाद रहने की कीमत,
जो खुद की  ही करवट में उलझते हैं । 


ये जो लगी है आग दिल में उसे बुझने न देना,
अब दोबारा ऐसी आफ़त की घंटी, अपने दरवाज़े पर बजने न देना,
यह तो पहला कदम है, हिम्मत को थोडा और सहजने दो,
इन हालातों की  नरमी को अब रूह तक पहुँचने दो ।




Thursday, 6 February 2014

Photographs can take you anywhere!

                                                                     "कहती हैं तसवीरें"

वक़्त को मुट्ठी में बंद कर लेती है तसवीरें,
मौसम को खुद में ही कैद कर लेती है तसवीरें,
लाख खुशियों का वजूद होती है तसवीरें,
न कह कर भी बहुत कुछ कहती है तसवीरें । 

लाखों के निर्वाह का कारण होती है तसवीरें,
सन्नाटे में डूब कर भी बेबाक होती है तसवीरें,
रिश्तों की  डोर सी होती है तसवीरें,
न कह कर भी बहुत कुछ कहती है तसवीरें ।



कल को आज बताती है तसवीरें,
धड़कनों से बतलाती है तसवीरें,
मुरझा जाते है रंग उनके,
फिर भी आँखों में चमकती है तसवीरें । 

सिर्फ कल ही नहीं, इतिहास दोहराती है तसवीरें,
नम पलकों को अक्सर सहराती है तसवीरें,
सच्ची हालातों का बयान करती है तसवीरें,
दिल की ज़बान होती है तसवीरें 







Tuesday, 21 January 2014

A question, unanswered !

"Ant"

Hoti hai jise sachchi humdardi,
Woh kambhakt kyu chhod jata hai?
Jo raahi hota hai rahai ka,
Wo kyu usi ka raasta mod jata hai?

Hota hai jo waaqif iss dard-e-zindagi se,
Woh kyu usse chehra chupa jata hai?
Jiski baahon mein nami ka ehsaas hota hai,
Wo khud hi qabr ke gale kyu lag jata hai?

Hota hai jo sabhi ke dil ka hissa,
Wo kyu ek hi pal mein, tukda sa alag ho jata hai?
Jo aane par, laakh muskurahat ka kaaran hota hai,
Wo kyu jaate jaate, sannate ko anjaam de jata hai?

Wednesday, 8 January 2014

'Tum'

'Tum'

Tum hi ho musaafir, tum hi kaarwan,
Tum hi ho wah parinda, jiska ye aasmaan.

Tum hi ho karta, tum hi hairani,
Tum hi ho kavita, ek ankahee kahani,
Tum hi ho nigaahe, tum hi nazaara,
Tum hi ho aadat, tum hi guzaara.

Tum hi ho aandhi, tum hi pat-jhad,
Tum hi ho salaah, tum hi hamdard,
Tum hi ho roshni, tum hi andhera,
Tum hi ho raat, tum hi savera.


Tum hi ho khushi, tum hi ghum,
Tum hi ho 'main', tum hi 'hum',
Tum hi ho patthar, tum hi soot,
Tum hi ho arjan, tum hi loot.

Tum hi ho pankh, tum hi udaan,
Tum hi ho khwaaish, tum hi jahaan,
Tum hi ho aaj, tum hi kal,
Tum hi ho haar, tum hi safal.

Tum hi ho baah, tum hi sahara,
Tum hi ho phool, tum hi bahara.

Tum hi ho kadam, Tum hi manzil,
Tum hi ho sagar, tum hi saahil,
Tum hi ho bandhak, tum hi azaad,
Tum hi ho milaap, tum hi jihaad.

Tum hi ho asha, tum hi dar,
Tum hi ho raahi, tum hi safar.

"You are everything when you start believing."